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निगाहें

3.6
219

निगाहें बयां करती हैं हमारी सोच को, निगाहें बयां करती हैं हमारी मानसिकता को, कई बार सिर्फ निगाहें ही किसी को इतना कष्ट दे देती हैं कि वह जीवन भर उस दर्द और कष्ट को भूल नहीं पाता। कई बार हम देखते हैं ...

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लेखक के बारे में
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निखिल शिवाजी

क्या बताऊ खुद को औरो की तरह एक आम इंसान कहने को जी नहीं चाहता... हूँ सबसे अलग ... सोच है अलग.... प्यार करता हूँ हर इंसान से... झांक कर देखिये मेरे दिल में बहुत जगह है आप सब के लिए... बहुत सुकून है, AC तो नहीं पर फिर भी ठंडक है... आराम है, प्यार है, सुकून है, अपनापन है, क़द्र है और आपसे बात करने की इच्छा है | हम तो बस चले आये बिना कुछ सोचे बिना कुछ विचारे... बहार की इस भागदौड़ भरी जिंदगी से अलग हटकर एक सुहाने सफ़र पर अपका स्वागत है .. हमारे दिल में ..... एक सीधा सा इंसान हूँ लेखक तो नही कह सकता खुद को। ज़हन में कई बाँतें आती रहती हैं जिंदगी को देखकर, सो कभी कभी कलम चलाकर कहानियाँ, कविताएं और राजनितिक व्यंग लिखकर अपनी बात कह देता हूँ, किसी को मेरी कहानियां, कविताएं या व्यंग अच्छी लगे तो लाइक करे और फॉलो भी जरूर कीजियेगा... और हाँ आलोचनाएं मुझे और भी मजबूत करती हैं। पढ़ने वाले सभी पाठकों का तहेदिल से शुक्रिया...

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Alone Rathor
    02 ஏப்ரல் 2021
    behtreen..... vakai aakhe aaina hai insan ke charecter ka
  • author
    Kumari Swikriti 😉😉
    16 மே 2021
    achha
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    Alone Rathor
    02 ஏப்ரல் 2021
    behtreen..... vakai aakhe aaina hai insan ke charecter ka
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    Kumari Swikriti 😉😉
    16 மே 2021
    achha