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नि: स्वार्थ सेवा

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निस्वार्थ की सेवा का आनंद ही कुछ और होता है शब्दों में नहीं कर सकते बयां यह एहसास इतना खास होता है। नि: स्वार्थ भाव से की सेवा से ईश्वर प्रसन्न होते हैं मिलती हैं जो दुआएं तो मुसीबतों से बचते हैं। पर ...

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लेखक के बारे में
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sandhya jain

कोमल काया में मजबूत दिल रखती हूं भावनाओं का समंदर हूं पर संभलकर चलती हूं।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Arti Verma ""Ruchika""
    06 मई 2022
    बेहतरीन अभिव्यक्ति 👌👌
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    Arti Verma ""Ruchika""
    06 मई 2022
    बेहतरीन अभिव्यक्ति 👌👌