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हिन्दी

*नीलकमल* - गुलशन नन्दा

4.7
334

हिन्दी मेरी प्रिय भाषा होने से मैंने जाने कितने उपन्यास पढ़ डाले। मुंशी प्रेमचंद, शिवानी, अमृता प्रीतम, शरतचन्द्र, गुलशन नन्दा और रानू मेरे पसंदीदा उपन्यासकार रहे।                     'गुलशन ...

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लेखक के बारे में
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Neelofar Neelu

एक नवोदित कवयित्री, शायरा और लेखिका। मुझे पुराने क्लासिकल फिल्मी गाने सुनना बहुत अच्छा लगता है। हिंदी, अंग्रेज़ी, पंजाबी और उर्दू भाषाएँ समझती हूँ। लघु कथाएँ, कहानियाँ और उपन्यास पढ़ने का शौक रखती हूँ। फ़ेसबुक मित्रों के कहने पर पिछले कुछ समय से लिखने का भी प्रयास आरम्भ किया है। मेरे 12 सांझा काव्य संग्रह, एक साँझा लघुकथा संग्रह और एक साँझा समीक्षा संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। उर्दू भाषा को बेहद पसंद करती हूँ। मेरी अधिकतर रचनाओं में उर्दू भाषा का समावेश होता है। कुछ रचनाएँ पंजाबी भाषा में भी लिखी हैं। अतुकांत रचनाएँ लिखना मेरा शौक है। मेरी रचनाओं को पढ़कर एक मित्र ने तो इसे "नीलोफ़री विधा" का नाम ही दे दिया है। मेरा पहला एकल काव्य संग्रह "भाव तरंगिनी" प्रकाशित हो चुका है।😊💐

समीक्षा
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    डॉ रेनु सिंह
    28 नवम्बर 2020
    हिंदी में बहुचर्चित हैं गुलशन नंदा।उपन्यास भी पढ़ा था और फ़िल्म भी देखी थी।गीत संगीत तो जुबान पर चढ़ गयेथे उस वक्त।आपने जिन लेखकों के नाम लियेहैं मैन भी उन्हें पढ़ा है।शिवानी मेरे विद्यार्थी जीवन की सर्वप्रिय लेखिका थीं।वह लखनऊ में रहती थीं इसलिए भी उनसे अपनापन अनुभव होता था।अमृता प्रीतम का काला गुलाब आज भी मेरे पुस्तक संग्रह में है।उस समय के उपन्यास और कविताएं भावनाप्रधानहोते थे इसलिए बहुत समय तक याद रहते थे।आपके लेख ने फिर से सबयाद दिला दिया। था
  • author
    28 नवम्बर 2020
    नीलू जी बेहतरीन। मुझे ऐसा लग रहा है कि सारांश के ये शब्द आपके हैं पर आवाज और सोच मेरी है। क्योंकि मैंने भी आपके सारे लेखकों को पढ़ने के साथ साथ बच्चन, प्रसाद एवं चौहान जैसे कवियों को भी पांचवीं कक्षा से परास्नातक एवं आगे भी अभी तक पढ़ता ही आ रहा हूं। गुलशन जी के नावेल तो समाजिक,प्रेमतिकोणीय वह दर्द से भरे होते रहे। मुझे अआपने उनके एक उपन्यास अजनबी की याद दिला दी । गुलशन जी। अमृता प्रीतम वह सरला रानू अपने आप में एक पुस्तकालय है।। तारीफ के लिए शब्द नहीं है।
  • author
    Rajeshwari Devi
    28 नवम्बर 2020
    जी बिल्कुल सही कहा अपने आप ही बहुत सुंदर था फिल्म भी बहुत ही खूबसूरत उसकी एक ही कहानी बहुत ही सुंदर आज भी संगीत और गीत नई से लगते हैं संगीत बहुत मनमोहक होता पुरानी फिल्मों का बहुत सुकून और शांति मिलती है इन पुराने संगीत पप्पा सुनते थे तुम मुझे बहुत पसंद आए तब से मैं भी सुनने लगाई और फिर मैं देखी तो बहुत ही अच्छी लगी इतना अच्छा लिखने के लिए बहुत शुक्रिया
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    डॉ रेनु सिंह
    28 नवम्बर 2020
    हिंदी में बहुचर्चित हैं गुलशन नंदा।उपन्यास भी पढ़ा था और फ़िल्म भी देखी थी।गीत संगीत तो जुबान पर चढ़ गयेथे उस वक्त।आपने जिन लेखकों के नाम लियेहैं मैन भी उन्हें पढ़ा है।शिवानी मेरे विद्यार्थी जीवन की सर्वप्रिय लेखिका थीं।वह लखनऊ में रहती थीं इसलिए भी उनसे अपनापन अनुभव होता था।अमृता प्रीतम का काला गुलाब आज भी मेरे पुस्तक संग्रह में है।उस समय के उपन्यास और कविताएं भावनाप्रधानहोते थे इसलिए बहुत समय तक याद रहते थे।आपके लेख ने फिर से सबयाद दिला दिया। था
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    28 नवम्बर 2020
    नीलू जी बेहतरीन। मुझे ऐसा लग रहा है कि सारांश के ये शब्द आपके हैं पर आवाज और सोच मेरी है। क्योंकि मैंने भी आपके सारे लेखकों को पढ़ने के साथ साथ बच्चन, प्रसाद एवं चौहान जैसे कवियों को भी पांचवीं कक्षा से परास्नातक एवं आगे भी अभी तक पढ़ता ही आ रहा हूं। गुलशन जी के नावेल तो समाजिक,प्रेमतिकोणीय वह दर्द से भरे होते रहे। मुझे अआपने उनके एक उपन्यास अजनबी की याद दिला दी । गुलशन जी। अमृता प्रीतम वह सरला रानू अपने आप में एक पुस्तकालय है।। तारीफ के लिए शब्द नहीं है।
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    Rajeshwari Devi
    28 नवम्बर 2020
    जी बिल्कुल सही कहा अपने आप ही बहुत सुंदर था फिल्म भी बहुत ही खूबसूरत उसकी एक ही कहानी बहुत ही सुंदर आज भी संगीत और गीत नई से लगते हैं संगीत बहुत मनमोहक होता पुरानी फिल्मों का बहुत सुकून और शांति मिलती है इन पुराने संगीत पप्पा सुनते थे तुम मुझे बहुत पसंद आए तब से मैं भी सुनने लगाई और फिर मैं देखी तो बहुत ही अच्छी लगी इतना अच्छा लिखने के लिए बहुत शुक्रिया