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"नजर तुम्हारी", [संदीप की शायरी ]

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चुभ सकते है, शब्द ये मेरे, देखना तुम घायल  न होना। लगे जो अच्छे ,तो भी सुन लो , फिर  इनके तुम,  कायल न होना।। ××××÷×××××××××÷×××× क्या यह मुमकिन है , कि याद करू जो 'मै 'तुमको,   तो  तुम ...

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लेखक के बारे में
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Sandip Sharmaz . Sharmaz

Sandeep Sharma is also available on Facebook n pratilipi सिमटते दायरे पर।blog,sanatansadvichaar.blogspot.com. email, [email protected] m. वैसे उम्र का अर्ध शतक पार किया है पर लेखक का जन्म अभी 2021 मे ही हुआ।पेशे से शिक्षक हूँ ।तो गर्व है कि राष्ट्र निर्माण मे नई पौध का रोपने की जिम्मेवारी ईश्वर ने मुझे सौंपी है।। खुश हू हर हाल मे क्योकि ईश्वर पर भरोसा है, और दुनियां की चालाकियां समझने लगा हूँ।। छोटी कहानी पढना अच्छा लगता है।जबकि बडी कहानी बोर करती है।जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जी। जय श्रीकृष्ण।

समीक्षा
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  • author
    Ankur
    06 अक्टूबर 2021
    तराशा इस तरह मुझको कि मुझ में मैं ना रहा 👌👌👌👌 बहुत ही सुंदर गजल 👌👌👌👌
  • author
    06 अक्टूबर 2021
    बहुत बहुत बेहतरीन रचना,,सभी चरण सुंदर लगे🙏🙏👏👏👏
  • author
    BABITA MISHRA
    06 अक्टूबर 2021
    बहुत खूब बयां किया आपने सर👌👌👌🥀🙏🏽🥀
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    Ankur
    06 अक्टूबर 2021
    तराशा इस तरह मुझको कि मुझ में मैं ना रहा 👌👌👌👌 बहुत ही सुंदर गजल 👌👌👌👌
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    06 अक्टूबर 2021
    बहुत बहुत बेहतरीन रचना,,सभी चरण सुंदर लगे🙏🙏👏👏👏
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    BABITA MISHRA
    06 अक्टूबर 2021
    बहुत खूब बयां किया आपने सर👌👌👌🥀🙏🏽🥀