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नई सुबह नया सूरज

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मैंने सूरज को हर दिन निकलते देखा है    रात के अंधकार को तम के घने प्रहार को    घोर काले आसमान को गुलाबी बनते देखा है    मैंने सूरज को हर दिन निकलते देखा है...    रात के सन्नाटे में, छुप गई सारी ...

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लेखक के बारे में
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digvijay thakur

मैं चला हूं साथ सबके, जीत केवल चाहता हूं l वे भी जीते मैं भी जीतू, प्रीत केवल चाहता हूं l

समीक्षा
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    manju gupta
    14 दिसम्बर 2020
    bahut achchhi rachna
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    manju gupta
    14 दिसम्बर 2020
    bahut achchhi rachna