
प्रतिलिपिमानसी काफी देर से खुद को शीशे में एकटक निहारे जा रही थी. अपने लम्बे सुनहरे घुंघराले बालो को सुलझा रही थी. आज अपने आप पर फिर से उसे गुमान हो रहा था, गुरूर महसूस कर रही थी वह. यह शायद कल रात के नशे का ही असर था जो कि अभी तक उतरा नहीं था. कल वैलेंटाइन डे पर कैसे आदित्य ने उसे कैंडल लाइट डिनर करते समय सबके सामने घुटनों के बल बैठकर प्रोपोसे किया था “क्या तुम अगले जन्म में भी मेरी अर्धांगिनी बनोगी”? खुद को फिर से बहुत भाग्यशाली समझ रही थी मानसी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी. सुबह के 8 बज रहे थे. आदित्य ...
रिपोर्ट की समस्या
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