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नयी शुरूआत

4.3
3786

मानसी काफी देर से खुद को शीशे में एकटक निहारे जा रही थी. अपने लम्बे सुनहरे घुंघराले बालो को सुलझा रही थी. आज अपने आप पर फिर से उसे गुमान हो रहा था, गुरूर महसूस कर रही थी वह. यह शायद कल रात के नशे का ही असर था जो कि अभी तक उतरा नहीं था. कल वैलेंटाइन डे पर कैसे आदित्य ने उसे कैंडल लाइट डिनर करते समय सबके सामने घुटनों के बल बैठकर प्रोपोसे किया था “क्या तुम अगले जन्म में भी मेरी अर्धांगिनी बनोगी”? खुद को फिर से बहुत भाग्यशाली समझ रही थी मानसी और मंद मंद मुस्कुरा रही थी. सुबह के 8 बज रहे थे. आदित्य ...

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लेखक के बारे में
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प्रीति गौतम
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sharda Rani Shukla
    10 ജൂലൈ 2016
    Good story
  • author
    Pooja Kashyap "P.R."
    20 ഫെബ്രുവരി 2020
    story achchi h bt hakikt me aisa kuch b nhi hota
  • author
    Rubina Hafeez
    25 ജൂണ്‍ 2020
    light refreshing story
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    Sharda Rani Shukla
    10 ജൂലൈ 2016
    Good story
  • author
    Pooja Kashyap "P.R."
    20 ഫെബ്രുവരി 2020
    story achchi h bt hakikt me aisa kuch b nhi hota
  • author
    Rubina Hafeez
    25 ജൂണ്‍ 2020
    light refreshing story