नया साल फिर एक वर्ष
बीत गए .....
समय जो
गतिशील है।
खट्टी - मिठी
यादों को समेट
पल -प्रतिपल
आगे बढना है हमे
हौसलो के साथ
आँखे बनकर
तो कभी
रास्ते बनकर
पकड़कर
उन हाथो को
खुद आँखे और
राह बनकर
किसी
जरूरत ...
नाम : रीता सिंह
साहित्य में - रीता सिंह 'सर्जना'
रूचि : साहित्य सृजन, संगीत और भ्रमण
पेशा : नौकरी
संस्था : पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी , तेज़पुर असम की संस्थापिका/ अध्यक्ष
सारांश
नाम : रीता सिंह
साहित्य में - रीता सिंह 'सर्जना'
रूचि : साहित्य सृजन, संगीत और भ्रमण
पेशा : नौकरी
संस्था : पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी , तेज़पुर असम की संस्थापिका/ अध्यक्ष
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