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naya sal

3.2
259

नया साल फिर एक वर्ष बीत गए ..... समय जो गतिशील है। खट्टी - मिठी यादों को समेट पल -प्रतिपल आगे बढना है हमे हौसलो के साथ आँखे बनकर तो कभी रास्ते बनकर पकड़कर उन हाथो को खुद आँखे और राह बनकर किसी जरूरत ...

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लेखक के बारे में
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रीता सिंह

नाम : रीता सिंह साहित्य में - रीता सिंह 'सर्जना' रूचि : साहित्य सृजन, संगीत और भ्रमण पेशा :  नौकरी संस्था : पूर्वोत्तर हिंदी साहित्य अकादमी , तेज़पुर असम की संस्थापिका/ अध्यक्ष

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pratiba Sinha
    01 सितम्बर 2020
    सभी रचना मे कवि की भावना समाहित है
  • author
    डा अनीता पंडा
    22 दिसम्बर 2016
    बहुत सार्थक एवं प्रासंगिक रचना
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    01 सितम्बर 2020
    प्रभावी अभिव्यक्ति ।
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  • author
    Pratiba Sinha
    01 सितम्बर 2020
    सभी रचना मे कवि की भावना समाहित है
  • author
    डा अनीता पंडा
    22 दिसम्बर 2016
    बहुत सार्थक एवं प्रासंगिक रचना
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    01 सितम्बर 2020
    प्रभावी अभिव्यक्ति ।