हिमालय की तलहटी में सुरम्य हरी - भरी घाटी थी ।। किसी जमाने में वहाँ आम बोए गए होंगे ; सो घनी अमराइयाँ थी । चारों ओर इतनी घनी और विशाल अमराइयाँ थी कि लगता था पृथ्वी ...
इस कहानी को पढ़कर बचपन याद आ गया ।। इस कहानी को मैंने तीसरी कक्षा में पढ़ा था । यह कहानी सन् 1996 में पहली बार पढ़ी थी । किताब का नाम हिन्दी तीसरी कक्षा था । संस्करण 1996 - 97 वां था ।। इस कहानी में नाथू का पक्षियों के प्रति असीम स्नेह दिखाया गया है ।।
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इस कहानी को पढ़कर बचपन याद आ गया ।। इस कहानी को मैंने तीसरी कक्षा में पढ़ा था । यह कहानी सन् 1996 में पहली बार पढ़ी थी । किताब का नाम हिन्दी तीसरी कक्षा था । संस्करण 1996 - 97 वां था ।। इस कहानी में नाथू का पक्षियों के प्रति असीम स्नेह दिखाया गया है ।।
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