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नाता

4.6
321

ना तूफानों से लड़ना है अब ना नौंका को पाऱ लगाना है जा ठान ली इस दिल ने भी अब कि तुझे भूल जाना है। ना जाना है उस गली में फ़िर ना दरियाओं को पार करके दिखाना है जा मान लिया इस दिल ने भी अब ना तुझसे ...

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लेखक के बारे में
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Neha Jain

गली के सन्नाटों में रोशनी की तरह मैं अनदेखी परछाई हूँ ख्वाहिशों की तरह।।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Anu Jain
    19 अक्टूबर 2019
    Too good
  • author
    Manvi Jain
    21 अक्टूबर 2019
    Waah!Waah!.....Waah!Waah!!
  • author
    Saloni Gupta
    24 फ़रवरी 2020
    Very beautiful
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    Anu Jain
    19 अक्टूबर 2019
    Too good
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    Manvi Jain
    21 अक्टूबर 2019
    Waah!Waah!.....Waah!Waah!!
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    Saloni Gupta
    24 फ़रवरी 2020
    Very beautiful