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नसीहत थमा कर गया

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2122,2122,12 नसीहत थमा कर गया दोस्ती का हक, यूँ अदा कर गया मुझको मुझसे ही जुदा कर गया कुछ दिनों से ,रूठ गया था, तभी कश्तियों को सब डुबा कर गया तैरना तब जानता भी कहा हौसला हाथ से छुड़ा कर गया घूंट भर ...

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लेखक के बारे में
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सुशील यादव

जन्म 30 जून 1952 दुर्ग छत्तीसगढ़ रिटायर्ड डिप्टी कमीश्नर , कस्टम्स,सेन्ट्रल एक्साइज एवं सर्विस टेक्स व्यंग ,कविता,कहानी का स्वतंत्र लेखन |रचनाएँ स्तरीय मासिक पत्रिकाओं यथा कादंबिनी ,सरिता ,मुक्ता तथा समाचार पत्रं के साहित्य संस्करणों में प्रकाशित |अधिकतर रचनाएँ gadayakosh.org ,रचनाकार.org ,अभिव्यक्ति ,उदंती ,साहित्य शिल्पी ,एव. साहित्य कुञ्ज में नियमित रूप से प्रकाशित |

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Jai Sharma
    04 अगस्त 2024
    राधे राधे सुशील जी बहुत बढ़िया बहुत ख़ूब जी
  • author
    Vikas Singh
    04 अप्रैल 2022
    बहुत सुन्दर
  • author
    anamika ghatak
    26 अक्टूबर 2017
    excellent
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    Jai Sharma
    04 अगस्त 2024
    राधे राधे सुशील जी बहुत बढ़िया बहुत ख़ूब जी
  • author
    Vikas Singh
    04 अप्रैल 2022
    बहुत सुन्दर
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    anamika ghatak
    26 अक्टूबर 2017
    excellent