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नश्वर शरीर

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ये तन है माटी का पुतला इक दिन तो ढल जाना हैं। छोड़ के लाठी लोभ मोह की औंधे मुंह गिर जाना है। ये तन है कागज की पुड़िया इक दिन तो गल जाना है। खोल के मुट्ठी काम क्रोध की मिट्टी में मिल जाना है। ये ...

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लेखक के बारे में
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बीरा नेगी
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Rinku Singh
    23 മാര്‍ച്ച് 2022
    Bahut sunder likha aapne,,👌👌👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 बेहतरीन रचना,,👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀👏👏👏👏👏👏👏👏
  • author
    23 മാര്‍ച്ച് 2022
    बेहतरीन रचना लिखा आपने सर,,, सत्यकथित रचना लिखने ‌के लिए बधाई हो।।🙏 राधे-राधे 🙏✍️💐🌹💐
  • author
    🌹Ďěvjîţ🌹
    23 മാര്‍ച്ച് 2022
    छन भर की खोखल खुशियां पल भर मे खो जाना हैं बहुत सुन्दर सराहनीय लिखा आपने
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    Rinku Singh
    23 മാര്‍ച്ച് 2022
    Bahut sunder likha aapne,,👌👌👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐✍🏻✍🏻✍🏻✍🏻 बेहतरीन रचना,,👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏👏🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀👏👏👏👏👏👏👏👏
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    23 മാര്‍ച്ച് 2022
    बेहतरीन रचना लिखा आपने सर,,, सत्यकथित रचना लिखने ‌के लिए बधाई हो।।🙏 राधे-राधे 🙏✍️💐🌹💐
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    🌹Ďěvjîţ🌹
    23 മാര്‍ച്ച് 2022
    छन भर की खोखल खुशियां पल भर मे खो जाना हैं बहुत सुन्दर सराहनीय लिखा आपने