नशीली आंखें उफ़ जानम तेरी ये नशीली आंखें, करती है बेताब ये नशीली आंखें। देखता हूं जब-जब डूब जाता हूं,, सागर से गहरी हैं ये नशीली आंखें। पास तेरे आ के हो जाता हूं बेसुध, सुध बिसराती हैं तेरी ये लजीली ...
नम्सकार दोस्तो, मैं प्रेम बजाज....पढ़ने का मुझे शौंक शुरू से नही रहा , लिखने का था, पहले सिर्फ अपने लिए लिखती थी, अब thx to my dear friend जो मुझे इस प्लेटफार्म तक लाई, अब यहाँ लिखती हूँ, मेरी रचनाए आप को कैसी लगती है, बताऐं ।
सारांश
नम्सकार दोस्तो, मैं प्रेम बजाज....पढ़ने का मुझे शौंक शुरू से नही रहा , लिखने का था, पहले सिर्फ अपने लिए लिखती थी, अब thx to my dear friend जो मुझे इस प्लेटफार्म तक लाई, अब यहाँ लिखती हूँ, मेरी रचनाए आप को कैसी लगती है, बताऐं ।
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