कौरव कंस और रावण के सामने, द्रौपदी देवकी और सीता के आंसु, किसी फायदे के लिए नहीं बहते। ये तो उनके अपमान दर्द और बेबसी की, कहानी है कहते। हाँ एक औरत रोती है। तब, जब उसके सम्मान को तार तार ...
अगर पीर आंखों से बह कर नहीं निकलेगी ..तो फिर वह ज्वाला बनकर निकलेगी जो संसार को जलाकर राख कर देगी ..इसलिए आंसू ही बेहतर है संसार की भलाई के लिए.. कोई इसे कमजोरी समझे या कायरता ..इससे स्त्रियों को फर्क नहीं पड़ता, बहुत बढ़िया लिखा है आपने💐👌💐👌💐👌
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अगर पीर आंखों से बह कर नहीं निकलेगी ..तो फिर वह ज्वाला बनकर निकलेगी जो संसार को जलाकर राख कर देगी ..इसलिए आंसू ही बेहतर है संसार की भलाई के लिए.. कोई इसे कमजोरी समझे या कायरता ..इससे स्त्रियों को फर्क नहीं पड़ता, बहुत बढ़िया लिखा है आपने💐👌💐👌💐👌
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