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नन्ही सी जान

4.9
27

(  सफर  में ) ढोलक बजा रही थी गाना गा रही थी न थी उसके हाथों में इतनी जान फिर भी, थपथपा रही थी गला रुद्ध हो गया था फिर भी गा रही थी जान लगा रही थी जीना सिखा रही थी।। नन्हीं सी जान हूँ , कल ...

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लेखक के बारे में
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सचिन सिंह

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समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Nidhi Singh
    13 फ़रवरी 2020
    वाह बहुत खूब लिखा आपने👌👍
  • author
    Rivanshi Agrahari
    26 दिसम्बर 2021
    बहुत ही सरलता से आपने पंक्तियों के जरिए वास्तविकता प्रस्तुत की है।
  • author
    Ipsha Singh "✍️ बेपरवाह"
    17 फ़रवरी 2020
    बेहतरीन, बेहद सुन्दर कृपया मेरी कविताएं भी पढ़े और बताएं 🙏💐
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    Nidhi Singh
    13 फ़रवरी 2020
    वाह बहुत खूब लिखा आपने👌👍
  • author
    Rivanshi Agrahari
    26 दिसम्बर 2021
    बहुत ही सरलता से आपने पंक्तियों के जरिए वास्तविकता प्रस्तुत की है।
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    Ipsha Singh "✍️ बेपरवाह"
    17 फ़रवरी 2020
    बेहतरीन, बेहद सुन्दर कृपया मेरी कविताएं भी पढ़े और बताएं 🙏💐