एक नन्हा सा पौधा सुबह से शाम तक सूरज की किरणों संग खेलते खेलते गया था थक पत्तियां उसकी मुरझाने लगी थी डालिया भी सूख रही थी जीवन की जंग वो लड़ रहा था प्राण उसके निकलने ही वाले थे तभी लगा सुन ली ...
मन में आते भाव उथल-पुथल मचा देतें हैं मस्तिष्क में।
प्रतिलिपि से जुड़ी 2020 में,पहले यहां पाठक के रूप में फिर पता चला मैं भी आसानी से लिख सकती हूं।
बस यह लेखन सफर तभी से जारी है।
सारांश
मन में आते भाव उथल-पुथल मचा देतें हैं मस्तिष्क में।
प्रतिलिपि से जुड़ी 2020 में,पहले यहां पाठक के रूप में फिर पता चला मैं भी आसानी से लिख सकती हूं।
बस यह लेखन सफर तभी से जारी है।
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
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