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नन्हा सा पौधा ... जीवन

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एक नन्हा सा पौधा सुबह से शाम तक सूरज की किरणों  संग खेलते खेलते गया था थक पत्तियां उसकी मुरझाने लगी थी डालिया भी सूख रही थी जीवन की जंग वो लड़ रहा था प्राण उसके निकलने ही वाले थे तभी लगा सुन ली ...

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लेखक के बारे में
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Kavita Jha

मन में आते भाव उथल-पुथल मचा देतें हैं मस्तिष्क में। प्रतिलिपि से जुड़ी 2020 में,पहले यहां पाठक के रूप में फिर पता चला मैं भी आसानी से लिख सकती हूं। बस यह लेखन सफर तभी से जारी है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pandey Jitendra "Jeet"
    10 नवम्बर 2020
    बहुत शानदार सकारात्मक रचना 👌👌💐💐💐
  • author
    Rachanaa
    10 नवम्बर 2020
    सुंदर अभिव्यक्ति 🎉🎉🎉
  • author
    श्वेता विजय mishra
    10 नवम्बर 2020
    बेहद बेहतरीन रचना लिखी आपने
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Pandey Jitendra "Jeet"
    10 नवम्बर 2020
    बहुत शानदार सकारात्मक रचना 👌👌💐💐💐
  • author
    Rachanaa
    10 नवम्बर 2020
    सुंदर अभिव्यक्ति 🎉🎉🎉
  • author
    श्वेता विजय mishra
    10 नवम्बर 2020
    बेहद बेहतरीन रचना लिखी आपने