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नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे

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नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे एक विचार बंगाल अकाल को स्वतंत्रता की अलख जगाने का अवसर बनाने वाले सहस्त्रों सन्यासी न्योछावर हुए थे. भूख से मरते जन साधारण में भी नव चेतना का स्वत: स्फूर्त संचार हुआ. ...

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लेखक के बारे में
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महेश समीर

अपनी रचनाओं में रोज़ मैं अपने बारे में लिख रहा हूं। इसके अलावा और क्या लिखूं? मुझे फिलहाल कुछ नहीं सूझ रहा। मेरे ख्याल से मेरी रचनाएं ही मेरा वास्तविक परिचय है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sushma Yadav
    14 जुलाई 2022
    बहुत ही अद्भुत जानकारी दी है आपने 👌😊😊 शुभ रात्रि
  • author
    Vinay Sinha
    14 जुलाई 2022
    सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने
  • author
    Kumari Sweta
    14 जुलाई 2022
    प्रेरक उपान्यास👌👌🙏
  • author
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sushma Yadav
    14 जुलाई 2022
    बहुत ही अद्भुत जानकारी दी है आपने 👌😊😊 शुभ रात्रि
  • author
    Vinay Sinha
    14 जुलाई 2022
    सुन्दर प्रस्तुति दी है आपने
  • author
    Kumari Sweta
    14 जुलाई 2022
    प्रेरक उपान्यास👌👌🙏