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हिन्दी

नमक का दारोगा

4.7
31660

जब नमक का नया विभाग बना और ईश्वरप्रदत्त वस्तु के व्यवहार करने का निषेध हो गया तो लोग चोरी-छिपे इसका व्यापार करने लगे। अनेक प्रकार के छल-प्रपंचों का सूत्रपात हुआ, कोई घूस से काम निकालता था, कोई चालाकी ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandesh Chelawat
    24 सितम्बर 2018
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी की हम समीक्षा करे इतनी हैसियत नही हमारी
  • author
    Avinash Tiwari Lala
    19 अगस्त 2018
    ईमानदारी एक बीमारी है, इससे रोगी तो संतुष्ट रहता है परंतु उसके परिजन पीड़ा भुगते है
  • author
    Pradeep Kumar
    23 जुलाई 2018
    आज फिर से 'नमक के दारोगा' पढ़ कर अच्छा लगा। सभी लगता है ये छोटी क्लास के हिंदी के पाठ को भूल चुके है। जरूर पढ़ें। धन्यवाद।
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    Sandesh Chelawat
    24 सितम्बर 2018
    मुंशी प्रेमचंद की कहानी की हम समीक्षा करे इतनी हैसियत नही हमारी
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    Avinash Tiwari Lala
    19 अगस्त 2018
    ईमानदारी एक बीमारी है, इससे रोगी तो संतुष्ट रहता है परंतु उसके परिजन पीड़ा भुगते है
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    Pradeep Kumar
    23 जुलाई 2018
    आज फिर से 'नमक के दारोगा' पढ़ कर अच्छा लगा। सभी लगता है ये छोटी क्लास के हिंदी के पाठ को भूल चुके है। जरूर पढ़ें। धन्यवाद।