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नैतिक मूल्य

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बदलता वक्त हमारे देखते-देखते वक्त सही में बहुत बदल गया है कभी हम एक दो कमरों में सारा परिवार प्रेम की डोर में बँधा सुविधाओं के बिना अपनी छोटी सी दुनिया में रूखा सूखा खाकर भी प्रसन्न रह लेते थे । ...

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लेखक के बारे में
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Madhu Sethi

rajasthan me school lecturer rhi hu thoda bahut mn ke vicharo ko shbdo me pirone ki koshish kr rhi hu

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    27 நவம்பர் 2023
    कमाल का लेखन, सुकून भरी कहानी,व आनंद देता व्यंग्य। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण
  • author
    BABITA MISHRA
    25 நவம்பர் 2023
    बहुत ही सार्थक और सटीक लिखा मैम.. पहले के जीवन और अभी के जीवन में जमीन आसमान का अंतर आ गया है जहां पहले लोग कम सुविधाओं में ही खुश थे वही अब इतनी सुविधाएं होने के बाद भी चैन नहीं.. आधुनिकता के पीछे भागते भागते इंसान अपना ही मूल्य खोते जा रहा है.. ये भी एकदम सटीक कहा कि इन सबके पीछे तब तक ही भागना सही है जब तक हमारा चारित्रिक और मानवीय पतन सुरक्षित रहे.. कहानी बहुत ही शिक्षाप्रद थी..विकास जो जिला शिक्षा अधिकारी था वो अपने से तेज अनुराग को इतना जमीन से जुड़ा देखकर सोचने पर मजबूर हो गया और उसका घमंड वही धरा का धरा रह गया.. अनुराग की तरह सोच रखने वाले बहुत कम है.. सच में अनुराग पर यह लाइन बिल्कुल ठीक बैठता है कि मानवीय मूल्यों के सामने सारे ऐशो आराम फीके रह गए..हमेशा की तरह बहुत ही बहुत खूबसूरत प्रेरक शिक्षाप्रद और उम्दा लेख मैम...👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹♥️♥️♥️♥️💚💚💚💚💞💞💞💞💞 🙏🙏🙏 अंत का जोक 👌👌😂😂😂सारी दुनिया ही बिछा दी..😄😄👍
  • author
    Aruna Soni
    25 நவம்பர் 2023
    बिल्कुल सही एवं सार्थक प्रस्तुति आपकी, यांत्रिक सभ्यता ने बहुत कुछ छीन लिया है हमसे, चारित्रिक पतन, मानवीय संवेदनाओं का क्षरण भी हो ही चुका है, पता नहीं आगे विकास के नाम पर कहाँ पहुँच जाएगा इंसान... ज़रूरत है सतर्क रहने की, संभलने की... उत्कृष्ट एवं उत्तम विचार आपके, बंदा वादे का पक्का निकला... मजेदार 👌👌🙏🌷
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    Sandip Sharmaz . Sharmaz "Lucky"
    27 நவம்பர் 2023
    कमाल का लेखन, सुकून भरी कहानी,व आनंद देता व्यंग्य। जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण जयश्रीकृष्ण
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    BABITA MISHRA
    25 நவம்பர் 2023
    बहुत ही सार्थक और सटीक लिखा मैम.. पहले के जीवन और अभी के जीवन में जमीन आसमान का अंतर आ गया है जहां पहले लोग कम सुविधाओं में ही खुश थे वही अब इतनी सुविधाएं होने के बाद भी चैन नहीं.. आधुनिकता के पीछे भागते भागते इंसान अपना ही मूल्य खोते जा रहा है.. ये भी एकदम सटीक कहा कि इन सबके पीछे तब तक ही भागना सही है जब तक हमारा चारित्रिक और मानवीय पतन सुरक्षित रहे.. कहानी बहुत ही शिक्षाप्रद थी..विकास जो जिला शिक्षा अधिकारी था वो अपने से तेज अनुराग को इतना जमीन से जुड़ा देखकर सोचने पर मजबूर हो गया और उसका घमंड वही धरा का धरा रह गया.. अनुराग की तरह सोच रखने वाले बहुत कम है.. सच में अनुराग पर यह लाइन बिल्कुल ठीक बैठता है कि मानवीय मूल्यों के सामने सारे ऐशो आराम फीके रह गए..हमेशा की तरह बहुत ही बहुत खूबसूरत प्रेरक शिक्षाप्रद और उम्दा लेख मैम...👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹♥️♥️♥️♥️💚💚💚💚💞💞💞💞💞 🙏🙏🙏 अंत का जोक 👌👌😂😂😂सारी दुनिया ही बिछा दी..😄😄👍
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    Aruna Soni
    25 நவம்பர் 2023
    बिल्कुल सही एवं सार्थक प्रस्तुति आपकी, यांत्रिक सभ्यता ने बहुत कुछ छीन लिया है हमसे, चारित्रिक पतन, मानवीय संवेदनाओं का क्षरण भी हो ही चुका है, पता नहीं आगे विकास के नाम पर कहाँ पहुँच जाएगा इंसान... ज़रूरत है सतर्क रहने की, संभलने की... उत्कृष्ट एवं उत्तम विचार आपके, बंदा वादे का पक्का निकला... मजेदार 👌👌🙏🌷