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नहीं कहलाते क्या

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वध रावण का कर देते राम नहीं कहलाते क्या दुनिया की पीढ़ा सुन पाते भगवान नहीं कहलाते क्या जीने का कारण बन जाते रक्त नहीं कहलाते क्या धनानंद को मार गिराते चन्द्रगुप्त नहीं कहलाते क्या अगर चमक मन में ...

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लेखक के बारे में
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Ritik Kumar Jhasya

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समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Asha Shukla ""Asha""
    05 अप्रैल 2019
    🌿🌺🌺🌿बेहद खूबसूरत और बेहतरीन रचना,🌿🌺🌺🌿
  • author
    06 अप्रैल 2019
    nice one
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    Asha Shukla ""Asha""
    05 अप्रैल 2019
    🌿🌺🌺🌿बेहद खूबसूरत और बेहतरीन रचना,🌿🌺🌺🌿
  • author
    06 अप्रैल 2019
    nice one