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नदी किनारा

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नदी किनारे बैठ के जब - जब हम कागज़ की वो छोटी कश्ती बनाते थे ह्रदय की तब उदगार ना पूछो खुशी से रहते हम लबालब थे।। धूल धरा की  देती थी सुगंध उस सुगंध के  हम दीवाने थे अल्हड़पन तब खूब ही भाता था माया ...

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लेखक के बारे में
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Neelam Neel
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    22 जुन 2022
    बहुत ही खूब सूरत बचपन की याद दिला दी हुई बचपन में घूम जाने को मजबूर करती हुई खूबसूरत सी रचना है💐💐💐💐💐💐💐
  • author
    आशा रानी शरण
    22 जुन 2022
    बचपन की खूबसूरत यादों को बहुत ही सुंदर पंक्तियों में लिखा आपने बहुत-बहुत धन्यवाद नमस्कार।
  • author
    22 जुन 2022
    बचपन की स्वर्णिम स्मृतियों को काव्य पंक्तियों में सजाया है। बहुत खूबसूरत सृजन।
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    22 जुन 2022
    बहुत ही खूब सूरत बचपन की याद दिला दी हुई बचपन में घूम जाने को मजबूर करती हुई खूबसूरत सी रचना है💐💐💐💐💐💐💐
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    आशा रानी शरण
    22 जुन 2022
    बचपन की खूबसूरत यादों को बहुत ही सुंदर पंक्तियों में लिखा आपने बहुत-बहुत धन्यवाद नमस्कार।
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    22 जुन 2022
    बचपन की स्वर्णिम स्मृतियों को काव्य पंक्तियों में सजाया है। बहुत खूबसूरत सृजन।