pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

नादान तेरी जवानी

5
9

भरी जवानी में भी तुमतो , बच्चों सी हरकतें करती हो । कभी इठलाती , कभी पास आती , तुम नखरे अजीब दिखाती हो ।। बदन गुलाब सा तेरा खिला है , हरकतें करती बचपन की । अपनी जवानी की बगिया को , ठीक से कहां ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में

शिक्षा - M.A (sociology) , osmania university सारस्वत सम्मान - विद्यावाचस्पति " भारत गौरव " उपाधि प्राप्त पांच पुस्तकों के लेखक मेरा हैदराबाद में ही निवास है । ईश्वर ने हमे प्रकृति दी , हमे इस पृथ्वी पर भेजा । क्यों नहीं हम , इस प्रकृति सम्मत जीवन का पूर्ण आनद ले ? शब्दों की अभिव्यक्ति ही , इंसान की पहचान बनाती है ।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    21 ഒക്റ്റോബര്‍ 2021
    सुन्दर लिखा है आपने🌺🌺🌺🙏🙏🙏🙏🙏🙏
  • author
    Ashit Sharan "Ashit"
    21 ഒക്റ്റോബര്‍ 2021
    बहुत सुन्दर।
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    21 ഒക്റ്റോബര്‍ 2021
    सुन्दर लिखा है आपने🌺🌺🌺🙏🙏🙏🙏🙏🙏
  • author
    Ashit Sharan "Ashit"
    21 ഒക്റ്റോബര്‍ 2021
    बहुत सुन्दर।