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नारी मुक्‍ति

4.3
401

नारी मुक्‍ति की मैडम से अचानक एक दिन हो गई मुलाकात बातों बातों में निकल पड़ी नारी मुक्‍ति की बात बोलीं नारी बहुत पीड़ित है उसे मुक्‍ति दिलाना है उठा कर जमीं से आसमां पर बैठाना है मैंने भी पहले तो ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Uday Singh
    06 जनवरी 2019
    mind-blowing
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का अनुसरण न करती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    सरोज वर्मा "कमल"
    14 अक्टूबर 2018
    क्या खूब लिखा है ,sir मैं आपसे सहमत हूं
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  • author
    Uday Singh
    06 जनवरी 2019
    mind-blowing
  • author
    Satyendra Kumar Upadhyay
    24 अक्टूबर 2015
    राष्ट्र भाषा का अनुसरण न करती एक अत्यंत सारहीन व अप्रासांगिक कविता ।
  • author
    सरोज वर्मा "कमल"
    14 अक्टूबर 2018
    क्या खूब लिखा है ,sir मैं आपसे सहमत हूं