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नारी

4.3
365

हे प्रथम वंदना की प्रतीक हे शक्तिरूप हे दयारूप हे ज्ञानरूप हे प्रेमरूप हे दिव्यरूप हे विश्वरूप तुम शक्तिरूप में आती हो तो दुर्गा बन जाती हो वीणा के वादन के संग तुम सरस्वती बन जाती हो ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    13 जनवरी 2021
    वाह बहुत शानदार सृजन मुझे भी पढें व उचित समीक्षा दें
  • author
    renu kapoor very innovative
    31 अक्टूबर 2022
    bhaaut sunder poem hai aap ki
  • author
    Sumedha Prakash
    21 अक्टूबर 2018
    beautiful
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    13 जनवरी 2021
    वाह बहुत शानदार सृजन मुझे भी पढें व उचित समीक्षा दें
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    renu kapoor very innovative
    31 अक्टूबर 2022
    bhaaut sunder poem hai aap ki
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    Sumedha Prakash
    21 अक्टूबर 2018
    beautiful