वृक्ष का ऊपरी हिस्सा चाहे कितना भी निर्जीव क्यों न हो जाए, चाहे एक पत्ता न बचे , चाहे तने में भी कोई जान न बचे ,परन्तु वृक्ष तब तक जीवित है जब तक उसकी जड़ नहीं मरती। कोई तो ऐसी ऋतु आएगी जब वो भी जी उठेगी... जब वृक्ष दोबारा खिलखिलाएगा।
तो आइए जड़ों से जुड़ते हैं।
उनसे जुड़ते हैं जो कभी कुछ रच गए और हम आज उन्हें सहेजें तो ही बेहतर है। वरना आने वाले समय में हम कहाँ पड़े होंगे, किसे खबर....?
हमारी रचनाओं में जुड़िए... उनसे... जिनकी किसी ने न लिखी...
हम...
एडवोकेट श्रीकृष्ण मिश्र, सिविल कोर्ट...
जन्म- 18 नवम्बर 1946
पिता- स्वर्गीय श्री गंगा प्रसाद मिश्र
माता- स्वर्गीय श्रीमती सत्यवती मिश्र
पत्नी- स्वर्गीय श्रीमती कुसुम मिश्र...
हम कर्म से...
एक कवि..
एक साहित्यकार..
एक उपन्यासकार..
एक इतिहास प्रेमी..
एक समीक्षाकार...
एक कहानीकार..
एक डायरी लेखक...
संस्मरण भी लिखते हैं...
😊
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