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न रहेगा बाँस न बजेगी बाँसुरी !!

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मेरे प्यारे अलबेले मित्रों ! बारम्बार नमन आपको 🙏🙏 सुबह सुबह दीनदयाल भाई ने किया कॉल ...रिसीव करते हीं जारी किए फरमान....आज़ाद भाई ! जे है से कि एक महत्वपूर्ण विषय पर विमर्श करनी है l अतः नहा धोकर ...

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लेखक के बारे में

जन्म दिवस-16-07-1975।प्राइवेट जॉब।स्वतंत्र लेखन कार्य।आप जैसे प्रबुद्ध जनों,गुरुजनों से स्नेह व आशीर्वाद पाकर जो देखता हूँ, जो महसूस करता हूँ उसे चुटकुले, कविता, कहानी,लेख और नाटक के रूप में शौकिया लिखता हूँ। पठन-पाठन में गहरी रुचि।बस और क्या....? हँसते-मुस्कुराते इस नश्वर शरीर को ढो रहा हूँ।जय श्री कृष्ण।जय जय श्री राधे।🙏🙏

समीक्षा
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    Seema Pandey
    16 நவம்பர் 2023
    पुजनिया भाभी जी सलाह एक दम जबरदस्त है जब सास बहू माँ नहीं मानती और बहु को सास बेटी नहीं मानती जो झगड़ा होना लाजमी है खासकर या जिसके लड़का लड़की दोनों हैं उसमें कलह ज्यादा देखने को मिलता है जब की सास अपनी बहू का जो रूप देख रही है वही किरदार उसकी बेटी भी निभा रही है लेकिन खेद इसी बात का है किसी माँ बाप को अपने बच्चों में दोष दिखता ही नहीं जिस दिन हर माँ बाप अपने बच्चों की त्रुटि देखने लग जांय उस दिन बृद्धाश्रम का अनुपात घटेगा और यदि हर लड़का अपने माँ बाप को लेकर जागरूक हो उस घर घर के बुजुर्ग बृद्धाश्रम नहीं जायेंगे क्योंकि आजकल सबसे ज्यादा आजादी फुल इंज्वाय लड़को को चाहिए होता है तभी तो वो जोरू गुलाम बन बीबी की हर बात मानते हैं पहले माँ बाप मिले न की बीबी 😄😄😄😄😄🤣🤣🤣🤣🤣🌺🌺
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    16 நவம்பர் 2023
    बहुत गंभीर मुद्दे पर आपने भैया अपनी लेखनी चलाई एकल परिवार की चाह के चलते वृद्धाश्रम की संख्या,बहुत बढ़ रही है मेरे भाई अपने आनंद में अब जो खलल नहीं चाहते बेटे और उनकी लुगाई स्वार्थ और लोभ की नदिया में सभी ने भरपूर डुबकी लगाई मां बाप की सेवा , अब किसी को तनिक भी न सुहाई ओढ़ना न चाहते कोई भी अब संस्कारों की सुंदर नर्म रजाई हम दो हमारे दो की बात ही अब सबकी बुद्धि में घुस पाई हमें भी ये दिन देखने पड़ेंगे, ये बात कोई न समझ रहा है भाई बहुत बहुत सारगर्भित, विचारणीय लेख लिखा है आपने भैया 😊🙏🙏🙏
  • author
    ❥🦚 Anupriya yadav 👑😈 Anu 💕
    16 நவம்பர் 2023
    सच में महोदय बहुत चिंतित विषय पर आपने लेख लिखा है,,,,, हमारे समाज में वृद्धाश्रम की दिन ही दिन बढ़ोतरी होती जा रही है,,, आजकल की पीढ़ी अपने बुजुर्गो की सेवा करने में असमर्थ हैं,,, आपको अपनी भाभी के पदचिन्हों पर चलकर खुशी हुई,,, क्योंकि आपके भाईसाहब ने आपको एक सार्थक प्रश्न पूछ लिया था,,, बेटियां के लिए आवाज उठाती आपकी,,, सुन्दर सार्थक रचना बहुत ही लाजबाव बेहतरीन है 👍👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯🙏🙏
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    Seema Pandey
    16 நவம்பர் 2023
    पुजनिया भाभी जी सलाह एक दम जबरदस्त है जब सास बहू माँ नहीं मानती और बहु को सास बेटी नहीं मानती जो झगड़ा होना लाजमी है खासकर या जिसके लड़का लड़की दोनों हैं उसमें कलह ज्यादा देखने को मिलता है जब की सास अपनी बहू का जो रूप देख रही है वही किरदार उसकी बेटी भी निभा रही है लेकिन खेद इसी बात का है किसी माँ बाप को अपने बच्चों में दोष दिखता ही नहीं जिस दिन हर माँ बाप अपने बच्चों की त्रुटि देखने लग जांय उस दिन बृद्धाश्रम का अनुपात घटेगा और यदि हर लड़का अपने माँ बाप को लेकर जागरूक हो उस घर घर के बुजुर्ग बृद्धाश्रम नहीं जायेंगे क्योंकि आजकल सबसे ज्यादा आजादी फुल इंज्वाय लड़को को चाहिए होता है तभी तो वो जोरू गुलाम बन बीबी की हर बात मानते हैं पहले माँ बाप मिले न की बीबी 😄😄😄😄😄🤣🤣🤣🤣🤣🌺🌺
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    16 நவம்பர் 2023
    बहुत गंभीर मुद्दे पर आपने भैया अपनी लेखनी चलाई एकल परिवार की चाह के चलते वृद्धाश्रम की संख्या,बहुत बढ़ रही है मेरे भाई अपने आनंद में अब जो खलल नहीं चाहते बेटे और उनकी लुगाई स्वार्थ और लोभ की नदिया में सभी ने भरपूर डुबकी लगाई मां बाप की सेवा , अब किसी को तनिक भी न सुहाई ओढ़ना न चाहते कोई भी अब संस्कारों की सुंदर नर्म रजाई हम दो हमारे दो की बात ही अब सबकी बुद्धि में घुस पाई हमें भी ये दिन देखने पड़ेंगे, ये बात कोई न समझ रहा है भाई बहुत बहुत सारगर्भित, विचारणीय लेख लिखा है आपने भैया 😊🙏🙏🙏
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    ❥🦚 Anupriya yadav 👑😈 Anu 💕
    16 நவம்பர் 2023
    सच में महोदय बहुत चिंतित विषय पर आपने लेख लिखा है,,,,, हमारे समाज में वृद्धाश्रम की दिन ही दिन बढ़ोतरी होती जा रही है,,, आजकल की पीढ़ी अपने बुजुर्गो की सेवा करने में असमर्थ हैं,,, आपको अपनी भाभी के पदचिन्हों पर चलकर खुशी हुई,,, क्योंकि आपके भाईसाहब ने आपको एक सार्थक प्रश्न पूछ लिया था,,, बेटियां के लिए आवाज उठाती आपकी,,, सुन्दर सार्थक रचना बहुत ही लाजबाव बेहतरीन है 👍👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯🙏🙏