तुम श्रेष्ठ थे तुम पुरुष थे मेरा अभिमान थे तुम जब पिता थे, भाई थे, मित्र थे मेरी कोख को संपूर्णता प्रदान करके मुझे ब्रम्हाण्ड का सबसे सुंदर नाम माँ देने वाले मेरी संतान थे। परन्तु स्त्री का मर्म न ...
शब्द ऐसे हीं नही निकल आते।।
मन साफ ।। हृदय पाक ।। पवित्र आत्मा से कविता निकली है
बहुत उत्तम रचना और सच्चाई है ।। मैं दावे के साथ कह सकता हु लेखक बहुत ही अच्छे स्वभाव और मिलनसार है,,
धन्यवाद आपको।। ।।
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