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न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ ।

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न किसी की आँख का नूर हूँ न किसी के दिल का क़रार हूँ। जो किसी के काम न आ सके मैं वह एक मुश्‍तेग़ुबार हूँ मैं नहीं हूँ नग़मा ए जाँ फ़िज़ा कोई सुन के मेरी करेगा क्‍या ? मैं बड़े ही दर्द की हूँ सदा किसी ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : अबु ज़फ़र सिराजुद्दीन महम्मद बहादुर शाह ज़फ़र उपनाम : बहादुर शाह ज़फ़र जन्म : 24 अक्टूबर 1775 देहावसान : 7 नवंबर 1862 भाषा : उर्दू विधाएँ : ग़ज़ल बहादुर शाह ज़फ़र मुग़ल साम्राज्य के अंतिम सम्राट थे, और साथ ही ये उर्दू के एक मशहूर शायर भी रहे हैं, इनकी लिखी अधिकतर रचनायें अभी उपलब्ध नहीं हैं और ये माना जाता है की वो अंग्रेज़ों के साथ विद्रोह के समय या तो नष्ट हो गयीं अथवा इधर उधर खो गयीं, लेकिन फिर भी इनकी कुछ रचनायें अभी भी प्रसिद्ध हैं। भारतियों को अंग्रेज़ों के खिलाफ एक-जूट करने के लिये लिखी गयी ये पंक्तियाँ अभी भी मशहूर हैं: "हिंदिओं में बू रहेगी जब तलक ईमान की। तख्त ए लंदन तक चलेगी तेग हिंदुस्तान की।।"

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Deepak Saini
    08 ஆகஸ்ட் 2017
    plz pandit shrilal shukl ji , sharatchand ji ki rachnaye bhi add kre
  • author
    JAi MAHAKAAL
    13 ஏப்ரல் 2022
    जफर तो जफर ही थे
  • author
    विनीता मिश्रा
    26 அக்டோபர் 2019
    वाह लाजवाब
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    Deepak Saini
    08 ஆகஸ்ட் 2017
    plz pandit shrilal shukl ji , sharatchand ji ki rachnaye bhi add kre
  • author
    JAi MAHAKAAL
    13 ஏப்ரல் 2022
    जफर तो जफर ही थे
  • author
    विनीता मिश्रा
    26 அக்டோபர் 2019
    वाह लाजवाब