pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

न करीब आ न गले मिला

4.0
4248

न करीब आ न गले मिला ,ये आशिक़ी बेकस किया तेरी जाँ नवाज़ी देख ली ,अब तू कहाँ और हम कहाँ ! कोई जुस्तजू करना भी क्या , सब गुम हैं अपने आप में , सब है पुरानी दास्तां ,बिखरा यहाँ ,बिखरा वहाँ । लम्हा दो लम्हा हँस लिया ,कुछ अश्क खुद का ही पी लिया, कोई संग दिल ,कोई तंग दिल ,बेदार भटके कहाँ कहाँ । वो उजड़ गया जो बसा कभी ,एक बागवा ,एक बहार था , आएंगे दिन क्या लौट कर ,ये पूछती है बादे सबा । जश्न ए ज़िंदगानी मनाईए ,पर ठोकरों से परे परे , नाजुक बड़ा है नासाज़ दिल ,टूटा कि किरचे जहां तहां । ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandhya Pandey
    17 जून 2025
    मैं भी ग़ज़ल लिखती हूँ इसलिए समझ सकती हूँ कि आपने बहुत अच्छा लिखा, आपसे गुज़ारिश है आप मेरी भी रचनाएं पढ़े
  • author
    Vinodkumar Bhardwaj
    29 मई 2025
    bahut hi acchi Kitab hai
  • author
    Satpal. Singh Jatiyan
    07 मई 2020
    nice.kyi jagah pr bahut achhi h shayri
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandhya Pandey
    17 जून 2025
    मैं भी ग़ज़ल लिखती हूँ इसलिए समझ सकती हूँ कि आपने बहुत अच्छा लिखा, आपसे गुज़ारिश है आप मेरी भी रचनाएं पढ़े
  • author
    Vinodkumar Bhardwaj
    29 मई 2025
    bahut hi acchi Kitab hai
  • author
    Satpal. Singh Jatiyan
    07 मई 2020
    nice.kyi jagah pr bahut achhi h shayri