न करीब आ न गले मिला ,ये आशिक़ी बेकस किया तेरी जाँ नवाज़ी देख ली ,अब तू कहाँ और हम कहाँ ! कोई जुस्तजू करना भी क्या , सब गुम हैं अपने आप में , सब है पुरानी दास्तां ,बिखरा यहाँ ,बिखरा वहाँ । लम्हा दो लम्हा हँस लिया ,कुछ अश्क खुद का ही पी लिया, कोई संग दिल ,कोई तंग दिल ,बेदार भटके कहाँ कहाँ । वो उजड़ गया जो बसा कभी ,एक बागवा ,एक बहार था , आएंगे दिन क्या लौट कर ,ये पूछती है बादे सबा । जश्न ए ज़िंदगानी मनाईए ,पर ठोकरों से परे परे , नाजुक बड़ा है नासाज़ दिल ,टूटा कि किरचे जहां तहां । ...
रिपोर्ट की समस्या
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