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न करीब आ न गले मिला

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न करीब आ न गले मिला ,ये आशिक़ी बेकस किया तेरी जाँ नवाज़ी देख ली ,अब तू कहाँ और हम कहाँ ! कोई जुस्तजू करना भी क्या , सब गुम हैं अपने आप में , सब है पुरानी दास्तां ,बिखरा यहाँ ,बिखरा वहाँ । लम्हा दो ...

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लेखक के बारे में
समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Satpal. Singh Jatiyan
    07 मई 2020
    nice.kyi jagah pr bahut achhi h shayri
  • author
    27 मई 2019
    बहुत सुन्दर रचना 👌🙏💐
  • author
    02 जून 2018
    उम्दा पेशकश कामिनी जी
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    Satpal. Singh Jatiyan
    07 मई 2020
    nice.kyi jagah pr bahut achhi h shayri
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    27 मई 2019
    बहुत सुन्दर रचना 👌🙏💐
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    02 जून 2018
    उम्दा पेशकश कामिनी जी