इलाहाबाद विश्वविद्यालय से दर्शन शास्त्र में एम. ए. और जामिया मिल्लिया से बी .एड . करने के बाद तकरीबन दस साल बीएसएफ स्कूल और डीएवी स्कूल में शिक्षिका रही, अब बस स्वतन्त्र लेखन में रमी हूं।
बचपन से ही पढ़ने का शौक था हैं, आधे घंटे में एक कामिक्स पढ़कर खत्म करती थी। शौकिया लिखने लगी, तकरीबन दो साल दैनिक जागरण में पाठकीय कालम में नियमित लिखती रही , 2003 में पहली कहानी लिखी थी "बिजली बाई " । कहानियां तकरीबन सभी गाहेबगाहे सत्य घटना पर ही आधारित है ,और अपने कलम को गतिमान भी सच्ची, सिसकती, सोये जज्बातो को जगाने के लिए ही कर पाती हूं, फुरसत के समय में नये नये पकवान बनाने ,गप्प गोष्ठी करने या पढ़ने मे ही बिताती हूं ।
रचनाएं -
गीत ,कविता ,कहानी ,भोजपुरी कजरी विरह गीत और गज़ल कई पत्रिकाओं में मसलन अमर उजाला , साहित्य ऋचा , बिहार समाचार , बीएसएफ संगिनी , भोजपुरी साहित्य सरिता ,आखर और सिरिजन में छप चुके है।
किताब - साझा काव्य संग्रह #_हाँ_!_कायम_हूँ_मै_# और 'प्रेम गलियन से' है जिसका सम्पादक डा. सुमन सिहं ने किया है। एकल कहानी संग्रह " ऊँची अटरियों की सिसकियाँ " है जो अप्रैल 2021में सर्वभाषा ट्रस्ट से प्रकाशित हो चुकी है और अमेजॉन पर उपलब्ध हैं, दूसरी भोजपुरी संग्रह 'कान्ही ना लागब सजनी' सर्वभाषा ट्रस्ट से प्रकाशित हुई है.....
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