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हिन्दी

मेरी हिंदी

4.4
598

मेरी हिंदी जिसने मुझे उस मुकाम तक पहुँचाया जहाँ से मैं एक अंग्रेजी वाले को परास्त कर सकता हु। हिंदी जिसे मैं जीता हु ।

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लेखक के बारे में
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मनीष

बेरोजगार इंजीनियर ! नवोदयन ! उम्र 20 ! बनारसिया ! यहां हमारे विचार आपको शब्दो के माध्यम से मिलेंगे।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    जी बिल्कुल सही कहा.आपने! एक अहिंदीभाषी होते हुए भी हिंदी मेरी मातृभाषा से भी बढ़कर है। मुझे हिंदी से अटूट लगाव है। धन्यवाद इतनी सुंंदर रचना.के लिए।
  • author
    Umesh Pathak
    22 फेब्रुवारी 2020
    उत्तम विषय वस्तु को लेकर लेखनी को विजय तक पहुंचाए।जब हम अपनी भाषा की मर्यादा बनाए रखते हैं तो संभव है अपनी भाषा भी हमें सम्मान प्रदान करती है और महिमामंडित भी
  • author
    Kusum Singh
    06 सप्टेंबर 2021
    अपनी मात्रृ भाषा के प्रति यह विचार और विश्वास ही हमारे देश के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को दर्शाता है ।
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    जी बिल्कुल सही कहा.आपने! एक अहिंदीभाषी होते हुए भी हिंदी मेरी मातृभाषा से भी बढ़कर है। मुझे हिंदी से अटूट लगाव है। धन्यवाद इतनी सुंंदर रचना.के लिए।
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    Umesh Pathak
    22 फेब्रुवारी 2020
    उत्तम विषय वस्तु को लेकर लेखनी को विजय तक पहुंचाए।जब हम अपनी भाषा की मर्यादा बनाए रखते हैं तो संभव है अपनी भाषा भी हमें सम्मान प्रदान करती है और महिमामंडित भी
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    Kusum Singh
    06 सप्टेंबर 2021
    अपनी मात्रृ भाषा के प्रति यह विचार और विश्वास ही हमारे देश के प्रति पूर्ण समर्पण भाव को दर्शाता है ।