आज कुलीना तीन दिन बाद काम पर आई थी। उसे देखते हैं दीप्ति का दिमाग ऐसे छनका, जैसे गर्म तवे पर पानी का छींटा मारने पर छनकता है। " तुम कहां थी तीन दिन ? बता कर तो जाना चाहिए था "! " ...
किशोरावास्था से लेखन रूझान, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित, राजनीति विज्ञान से परा-स्नातक, " बस तुम्हारे लिये" नामक एकल कविता संग्रह.. लेखन मेरी खुशी है और इन खुशियों में मैं जीती हूं..
सारांश
किशोरावास्था से लेखन रूझान, विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लेख प्रकाशित, राजनीति विज्ञान से परा-स्नातक, " बस तुम्हारे लिये" नामक एकल कविता संग्रह.. लेखन मेरी खुशी है और इन खुशियों में मैं जीती हूं..
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या
रिपोर्ट की समस्या