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मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ, कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश में हूँ।

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मुसाफ़िर कल भी था मुसाफ़िर आज भी हूँ, कल अपनों की तलाश में था आज अपनी तलाश में हूँ। ...

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लेखक के बारे में

गुरुओं द्वारा रचित मैं नन्हा-सा आकार हूँ। माँ हिंदी का बेटा मैं अधना-सा कलमकार हूँ।।

समीक्षा
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  • author
    राज 'गौरव'
    03 नवम्बर 2020
    👍🏻👏👍🏻👏
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    राज 'गौरव'
    03 नवम्बर 2020
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