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मुसाफिर

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4.6

रात का अंधेरा था। हर जगह सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा हुआ था। मंद गति से वायु बह रही थी। एक मुसाफिर थका हारा। अपने आराम के लिए जगह तलाश रहा था। यकायक एक आवाज सुनकर वह चौंका। आवाज में बड़ी मिठास घुली ...