pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

?*मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता*?

4.7
758

🌻 _ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की,         _आप मुझे पहचानते हो_         _बस इतना ही काफी है._ _अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा जाना मुझे,_         _क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी_         _उसने ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
MD.SHAHJADA TALIB

Money hai yo sab kuch hai. My Life My Rules

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dinesh Lamrod
    26 अगस्त 2021
    बहोत ही अच्छी कविता मुझे मेरे बचपन की याद आ गई ओर ओर वर्तमान मे भी सेम कविता के हिसाब से ही चल रहा है
  • author
    PINKU CHIRANJEEV
    16 मार्च 2021
    bhagut hi lajavab jiwan se juri hue kavita thanks sir
  • author
    Pralad Chhetri
    11 मार्च 2021
    bohut sundar likha hai Premchand Ji ne
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Dinesh Lamrod
    26 अगस्त 2021
    बहोत ही अच्छी कविता मुझे मेरे बचपन की याद आ गई ओर ओर वर्तमान मे भी सेम कविता के हिसाब से ही चल रहा है
  • author
    PINKU CHIRANJEEV
    16 मार्च 2021
    bhagut hi lajavab jiwan se juri hue kavita thanks sir
  • author
    Pralad Chhetri
    11 मार्च 2021
    bohut sundar likha hai Premchand Ji ne