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मल्टी-लेवल मार्केटिंग

4.3
2540

"ये है मल्टी-लेवल मार्केटिंग का कमाल। ये देखो, इस कम्पनी के बिजनेस से अमीर हुए लोगों की लिस्ट...और ये देखो फोटो-अल्बम। फार्म भरकर जॉइन करते समय केवल दो हजार रुपये फीस दी थी। आज लाखों मॆं खेल रहे ...

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लेखक के बारे में
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सुनील आकाश

मेरा मोबाइल नम्बर है : 8899144803. मैं हिंदी लेखक हूँ । असली नाम है -- सुनील रस्तोगी (पुत्र स्व.राजेन्द्र प्रसाद रस्तोगी)। पिछले 40 वर्षों से लेखन में हूँ। अब भी यह सफर जारी है। उपन्यास, कहानी, गीत, ग़ज़ल, कविताएँ व अखबारों के लिये संपादकीय लेख लिखता रहा हूँ। 'प्रतिलिपि' पर मेरे 30 उपन्यास प्रकाशित हैं। इनमें से 5 उपन्यास प्रिंटेड बुक्स के रूप में भी आ चुके हैं। शेष सब 'प्रतिलिपि' पर ऑनलाइन प्रकाशित हैं। 'देखा प्यार तुम्हारा', 'तुम बिन', 'नज़राना', 'मेरी लाश कहाँ गई' के बाद अब 'सोलमेट' उपन्यास प्रकाशित हो रहा है। "प्रतिलिपि" पर आने से पहले भी, मेरे सैकड़ों कहानियाँ, गीत, ग़ज़ल व अन्य लेखादि देश के चिर-परिचित अखबार या पत्रिकाओं में दशकों से छपते रहे हैं; जैसे---पंजाब केसरी, विश्व मानव, सानुबँध, जाह्नवी, धर्मयुग, कथालोक, कथाबिम्ब, विश्व ज्योति, दर्पण, जग़मग दीप ज्योति, सुपर ब्लेज आदि। शिक्षा :'पी.जी.डी.--जर्नलिज्म', बी.ए. (हिंदी), 'कहानी लेखन' में डिप्लोमा। आयुर्वेद से 'चिकित्सा स्नातक' की डिग्री भी। व्यवसाय : शैक्षिक पुस्तकों के "गोयल ब्रदर्स प्रकाशन, नोएडा" के सम्पादकीय विभाग के 'हिंदी प्रभाग' में थे। (अब रिटायर्ड) पुरस्कृत-सम्मानित रचनाएँ : टेलीग्राम (कहानी, प्रथम पुरस्कार), बदलते रिश्ते (उपन्यास, द्वितीय पुरस्कार), शेषनाग, जलती हुई तीलियाँ, अंधेरी गुफ़ा, रेगिस्तान आदि (तृतीय पुरस्कार प्राप्त) कहानियां हैं। सम्मान : प्रेमचंद लेखक पुरस्कार, 'साहित्य श्री' अवार्ड, प्रतिलिपि कहानी सम्मान आदि। निवास : सी-26, रेलवे रोड, मॊदीनगर-201204 (उ.प्र.)

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    शिवम् तिवाड़ी
    30 অক্টোবর 2019
    bhai sahab iss topic ko aapne chuna kahani ke liye iska bohot bohot dhanyawaad ....km se km kuch logo ko to akal aayegi.!!! mene third year ke time ese chain marketing wale janjaal me padne hi wala tha ki apne thorii boht bachi khuchi budhii ka istemaal kiya or bachaya khud ko .. mera ajeez mitr mujhe Join karaane ke liye betaab tha.. pata nahi kaha se sadbudhhi aa gyi or me bach gaya.....
  • author
    Mala Jaiswal
    03 মে 2020
    hm log bhi fanse the
  • author
    Mukesh Verma
    11 জুন 2019
    सत्य उजागर करती कहानी।सभी पाठक ध्यान दें ।Safe Shop नाम की कंपनी के एक सदस्य ने अपनी साथी अध्यापकों से 10000 प्रति व्यक्ति लेकर अपने नाम से जमा करा दिये।किसी को कुछ नही मिला।एसी योजना मे रसीद अवश्य लें।
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    शिवम् तिवाड़ी
    30 অক্টোবর 2019
    bhai sahab iss topic ko aapne chuna kahani ke liye iska bohot bohot dhanyawaad ....km se km kuch logo ko to akal aayegi.!!! mene third year ke time ese chain marketing wale janjaal me padne hi wala tha ki apne thorii boht bachi khuchi budhii ka istemaal kiya or bachaya khud ko .. mera ajeez mitr mujhe Join karaane ke liye betaab tha.. pata nahi kaha se sadbudhhi aa gyi or me bach gaya.....
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    Mala Jaiswal
    03 মে 2020
    hm log bhi fanse the
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    Mukesh Verma
    11 জুন 2019
    सत्य उजागर करती कहानी।सभी पाठक ध्यान दें ।Safe Shop नाम की कंपनी के एक सदस्य ने अपनी साथी अध्यापकों से 10000 प्रति व्यक्ति लेकर अपने नाम से जमा करा दिये।किसी को कुछ नही मिला।एसी योजना मे रसीद अवश्य लें।