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मुक्तक!

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शरद चन्द्र की शरद हथेली पर,रति यौवन का दान लिख रही है। अमृत बूँद को थाम हथेली पर,जग पावन का मान लिख रही है। चंचलता की यौवन कामनाएँ,सागर से सिपिं तक तक अनुबंध- सात जन्मों का स्यात् सदाशिव,अपने ह्रदय ...

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लेखक के बारे में

कहाँ है मेरा मोहन,मुझे तो पता दो? अरे दुनिया वालो,कोई तो बता दो।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    17 दिसम्बर 2023
    बहुत शानदार शब्द संयोजन
  • author
    संतोष नायक
    17 दिसम्बर 2023
    बहुत ही भावपूर्ण पंक्तियां लिखी है आपने।
  • author
    17 दिसम्बर 2023
    वाह बहुत उम्दा लेखन
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    17 दिसम्बर 2023
    बहुत शानदार शब्द संयोजन
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    संतोष नायक
    17 दिसम्बर 2023
    बहुत ही भावपूर्ण पंक्तियां लिखी है आपने।
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    17 दिसम्बर 2023
    वाह बहुत उम्दा लेखन