pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

मुकम्मल इश्क़

4.3
75

रिश्ता बड़ा अजीब है मेरा और उसका, मुकम्मल ना होने पर मुकम्मल कहलायेगा। डरता नहीं हूँ  खोने से जो मेरा है ही नहीं , क्योंकि साथ तो खुद की जिन्दगी का भी छूट जाएगा।। जिन्दगी लगा दो सपनों को पाने ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
सौरभ जी

उम्र कम है, मगर कल्पनाओं का अनुभव है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 मार्च 2019
    वाह क्या बात
  • author
    Jinendra Narwariya "राधे"
    06 मार्च 2019
    bahut badiya
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    06 मार्च 2019
    वाह क्या बात
  • author
    Jinendra Narwariya "राधे"
    06 मार्च 2019
    bahut badiya