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मुझको बचा लो इससे तुम अब बाबू

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मुझको बचा लो इससे तुम अब बाबू चाहे जेल में डाल दो तुम मुझे बाबू तुम्हे नही पता मैंने की हैं इससे शादी शादी का पता नही हुई है मेरी बर्बादी जब देखो कहे दहेज केस लगा दूंगी फ़ालतू में बोलेगा तो जेल करा ...

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लेखक के बारे में
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अशोक सपड़ा
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Neetu Mavi
    11 दिसम्बर 2022
    are wah kya baat h dahej lete hue to nhe sochte na jb sochte jb ldkeyo ko marr deya jaata h bete wala ketna bhe kyo na de de sb km he rehta h khtm he krna he h to dahej ko he khtm kro na na dahej rahega na he koi sekayt he rh jayenge
  • author
    आमोद "अल्पज्ञ"
    12 अप्रैल 2023
    दहेज प्रथा समाज का एक कलंक है, परंतु कुछ एक घटनाएं ऐसी भी दिखती हैं जहां, कानून का दुरुपयोग होता है, और निजी लाभ के लिए निर्दोष को भी फंसाया जाता है, जो उचित नहीं है। कविता का विषय अच्छा है।
  • author
    suchita bhagat
    25 अक्टूबर 2023
    दर्द और भय को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया बधाई और साधुवाद
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    Neetu Mavi
    11 दिसम्बर 2022
    are wah kya baat h dahej lete hue to nhe sochte na jb sochte jb ldkeyo ko marr deya jaata h bete wala ketna bhe kyo na de de sb km he rehta h khtm he krna he h to dahej ko he khtm kro na na dahej rahega na he koi sekayt he rh jayenge
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    आमोद "अल्पज्ञ"
    12 अप्रैल 2023
    दहेज प्रथा समाज का एक कलंक है, परंतु कुछ एक घटनाएं ऐसी भी दिखती हैं जहां, कानून का दुरुपयोग होता है, और निजी लाभ के लिए निर्दोष को भी फंसाया जाता है, जो उचित नहीं है। कविता का विषय अच्छा है।
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    suchita bhagat
    25 अक्टूबर 2023
    दर्द और भय को सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया बधाई और साधुवाद