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मुझे तो बस तेरी खामियों से ही प्यार है,

4.1
1000

सुधर भी जाये ये जमाना तो मेरे किस काम का, मुझे तो बस तेरी खामियों से ही प्यार है, बिखर जाये टूट कर आईने की तरह चाहे दिल, मुझे तो फिर भी तेरी चाहत पे ऐतबार है, असर होना जरूरी है सौबत का भी मगर, मुझे ...

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समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Ravindra N.Pahalwam
    01 अक्टूबर 2018
    हर आहट पे समझूँ वह आइगयो रे / कमी के बाद भी चाहत है / कौन है बिना कमी के ? / कम शब्दों मे गहरी बात कहने की कला/ बहुत सारी बधाई...
  • author
    अरविन्द सिन्हा
    06 मई 2023
    सच्चे प्यार को रेखांकित करती सुन्दर भावपूर्ण रचना । हार्दिक साधुवाद
  • author
    01 सितम्बर 2018
    दर्द समेटे रहना भी अच्छा लगता है, बन्द लबों से कहना भी अच्छा लगता है ।
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    Ravindra N.Pahalwam
    01 अक्टूबर 2018
    हर आहट पे समझूँ वह आइगयो रे / कमी के बाद भी चाहत है / कौन है बिना कमी के ? / कम शब्दों मे गहरी बात कहने की कला/ बहुत सारी बधाई...
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    अरविन्द सिन्हा
    06 मई 2023
    सच्चे प्यार को रेखांकित करती सुन्दर भावपूर्ण रचना । हार्दिक साधुवाद
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    01 सितम्बर 2018
    दर्द समेटे रहना भी अच्छा लगता है, बन्द लबों से कहना भी अच्छा लगता है ।