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मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता

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तुम हो या न हो....किसको फर्क पड़ता है. एक समय था जब तुम्हारे लिए मैं बेचन रहती थी...हर आहट तुम्हारी आहट लगती थी. हर शख्स के चेहरे में तुम्हारा ही अक्स नज़र आता था. एक वक्त था जब तुम ज़रा भी देर कर देते ...

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लेखक के बारे में

बाकियों का तो पता नहीं लेकिन जहाँ तक मेरा अनुभव के बारे में पूछेंगे तो मैं यही कहूँगी कि कहानी, संस्मरण या कोई भी लेख लिखना इतना मुश्किल नहीं है जितना की अपने बारे में लिखना. लेकिन अगर मुझे आप सबसे मुखातिब होना है तो अपने बारे में बताना भी मेरा ही फ़र्ज़ है. चलिए अब मैं आपको अपने बारे में बता ही देती हूँ. मेरा नाम है श्वेता सिंह ‘जागृति’. मूल रूप से उत्तर प्रदेश की निवासी हूँ और कर्म स्थान मेरा दिल्ली है. अब जब कर्मस्थान की बात कर रही हूँ तो आपको बताती चलूँ की पेशे से मैं पत्रकार हूँ. अरे... घबराइए नहीं मैं पत्रकार ज़रूर हूँ लेकिन आजकल के टीवी चैनल्स पर आने वाले पत्रकारों की तरह शोर शराबा करने वाली नहीं बल्कि आपने आसपास के माहौल का निरीक्षण कर, उसका गहन अध्ययन कर चीज़ों की जानकारी आप सब तक पहुँचाना मेरी रूचि है. इसके अलावा मेरी विधाओं में, कवितायेँ, कहानियां, कई उच्च हस्तियों के साक्षात्कार भी शामिल है. अब मैं आपको ज्यादा बोर नहीं करूंगी... बस इसी आशा के साथ की आप मुझे लेखक के रूप में ज़रूर स्वीकार करेंगे. और हाँ अगर आपको मेरी लेखनी में कुछ कमी नज़र आये तो मुझे बेझिझक बताएं... क्यूंकि लेखक की लेखनी अपने आलोचकों के बिना अधूरी है. आपके सह्योग की आशा के साथ .... आपकी श्वेता सिंह ‘जागृति’

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    08 मई 2019
    जब भरोसा किसी पर से टूट जाता है तो सच है फिर उसके अस्तित्व का होना या ना होना कुछ फ़र्क नहीं पड़ता.. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति..
  • author
    09 फ़रवरी 2021
    बेहद खूबसूरत ही नहीं बल्कि एक रचनात्मक कहानी है जो नए जीवन मूल्यों को स्थापित करती है.... --Vk
  • author
    शुभा शर्मा
    06 मई 2019
    सच है, ऐसी परिस्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता।पडना भी नही चाहिये।
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    08 मई 2019
    जब भरोसा किसी पर से टूट जाता है तो सच है फिर उसके अस्तित्व का होना या ना होना कुछ फ़र्क नहीं पड़ता.. बेहतरीन भावाभिव्यक्ति..
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    09 फ़रवरी 2021
    बेहद खूबसूरत ही नहीं बल्कि एक रचनात्मक कहानी है जो नए जीवन मूल्यों को स्थापित करती है.... --Vk
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    शुभा शर्मा
    06 मई 2019
    सच है, ऐसी परिस्थिति में कोई फर्क नहीं पड़ता।पडना भी नही चाहिये।