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मुहब्बत की रहगुज़र पर

3.8
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मुद्दतों से भटकता फिर रहा हूँ इन आवारा सड़कों पर सब यही कहती हैं नहीं है इन पर कहीं भी मेरा घर तरस गया हूँ ख़ुद से भी एक लम्हे की मुलाक़ात को तुम ही कुछ बतलाओ मिलूंगा मैं किस डगर मत मिला करो मुझे इस क़दर ...

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    Shobha gupta "Gupta"
    12 जून 2020
    बहुत प्यारी है
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    Shobha gupta "Gupta"
    12 जून 2020
    बहुत प्यारी है