pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

मुआवजा

4.3
3006

उसकी जिन्दगी भले गांव के लिए कभी महत्वपूर्ण न रही हो, पर आज उसकी मौत गांव के समक्ष बेहद जरूरी मुद्दा बनकर खडी हो गयी थी। सीना फुलाये। उससे पार पाने की तरकीबें निकाली जा रही थी। हर एक के अपने-अपने ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    bhoorelal mishra
    02 अप्रैल 2020
    गज़ब बिना नाम देखे कहानी पढ़ना शुरू किया था.... हमने कई बार तो ऐसा लगता था जैसे हम मुंशी प्रेमचंद जी की कोई कहानी पढ़ रहे हैं.... लेकिन गैस चूल्हा जैसे अल्फ़ाज़.... महोदय! कहानी लिखते हैं.... इसके अलावा आप और कोन सा कार्य करते हैं... कहानी पढ़ने से आप के जीवन के व्यापक फलक की इंद्रधनुषीय रंगों की जगमगाती विचार अभिभूत कर देते हैं ..... ग़ज़ब ! समरस बधाई ! श्री मान !
  • author
    Rekhajain Khandelwal
    02 अप्रैल 2021
    good
  • author
    आकाशदीप सिंह
    01 जून 2021
    कहानी कुछ समझ नही आयी कुछ बातें जैसे पंचे की मौत का कारण क्या था दूसरा कमली इतने समय बाद अपने ससुराल क्यो आयी अगर पैसे या जमीन के लिए आई तो अंत मे बुढ़ापे का सहारा उसे क्यू बताया गया 🤔🤔🤔🤔
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    bhoorelal mishra
    02 अप्रैल 2020
    गज़ब बिना नाम देखे कहानी पढ़ना शुरू किया था.... हमने कई बार तो ऐसा लगता था जैसे हम मुंशी प्रेमचंद जी की कोई कहानी पढ़ रहे हैं.... लेकिन गैस चूल्हा जैसे अल्फ़ाज़.... महोदय! कहानी लिखते हैं.... इसके अलावा आप और कोन सा कार्य करते हैं... कहानी पढ़ने से आप के जीवन के व्यापक फलक की इंद्रधनुषीय रंगों की जगमगाती विचार अभिभूत कर देते हैं ..... ग़ज़ब ! समरस बधाई ! श्री मान !
  • author
    Rekhajain Khandelwal
    02 अप्रैल 2021
    good
  • author
    आकाशदीप सिंह
    01 जून 2021
    कहानी कुछ समझ नही आयी कुछ बातें जैसे पंचे की मौत का कारण क्या था दूसरा कमली इतने समय बाद अपने ससुराल क्यो आयी अगर पैसे या जमीन के लिए आई तो अंत मे बुढ़ापे का सहारा उसे क्यू बताया गया 🤔🤔🤔🤔