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मृत्युंजय

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जन्म, मृत्यु  द्वार जीवन के गुज़र रहा हर जीव मध्य से राजा, रंक, संत, अभिलाषी बच ना पाया मृत्यु पाश से ईर्ष्या, द्वेष, छल कपट बैर, लोभ का दावानल करके घात कोमल प्राणी पर घेर बैठा सम्पूर्ण हृदयतल ...

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लेखक के बारे में
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Shalini Chaturvedi

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समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    R.K shrivastava
    08 जुलाई 2023
    बहुत सुंदर रचना ! प्रत्येक देहधारी की मृत्यु अटल है । जानने को शेष यही रह जाता कि कब , कहाँ और किस प्रकार ?
  • author
    11 जुलाई 2023
    सही है जो आया है उसे जाना भी है ।अकाट्य सत्य दर्शाती उत्कृष्ट रचना ।🌷
  • author
    AFROZ KHAN
    08 जुलाई 2023
    अति सुन्दर उत्कृष्ट अभिव्यक्ति प्रस्तुत किया है।
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    R.K shrivastava
    08 जुलाई 2023
    बहुत सुंदर रचना ! प्रत्येक देहधारी की मृत्यु अटल है । जानने को शेष यही रह जाता कि कब , कहाँ और किस प्रकार ?
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    11 जुलाई 2023
    सही है जो आया है उसे जाना भी है ।अकाट्य सत्य दर्शाती उत्कृष्ट रचना ।🌷
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    AFROZ KHAN
    08 जुलाई 2023
    अति सुन्दर उत्कृष्ट अभिव्यक्ति प्रस्तुत किया है।