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मृतक - भोज

4.7
34348

सेठ रामनाथ ने रोग-शय्या पर पड़े-पड़े निराशापूर्ण दृष्टि से अपनी स्त्री सुशीला की ओर देखकर कहा, 'मैं बड़ा अभागा हूँ, शीला। मेरे साथ तुम्हें सदैव ही दुख भोगना पड़ा। जब घर में कुछ न था, तो रात-दिन ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • author
    Vivek Kumar Rajput
    06 دسمبر 2018
    हृदय स्पर्शी कहानी। मेरा दिल आंसुओं के सैलाब डूब गया था। इस कहानी को पढ़कर जिसे आंसू ना आए वो एक मानव का अंश नहीं हो सकता है। धिक्कार है ऐसे स्वार्थी समाज को। ऐसे अमीरों से गरीब ही अच्छे है जिनके दिलों में सारे जहां के लिए प्यार होता है। जिस समाज को उसकी सहायता करनी चाहिए थी वो उसकी लूटने पर तुल गया। हमे अपने आसपास ऐसे लोगो की सहायता करनी चाहिए। पहले तो भगवान किसीको ऐसा दिन ना दिखाए। मुंशी प्रेमचंद जी का कोटि कोटि आभार। समाज का ऐसा घिनौना और असामाजिक चेहरा बेनकाब करने के लिए
  • author
    Vishal Suman
    13 اکتوبر 2019
    😢😢😢😢😢😢😢शब्द नहीं है कहने को. आँखों में आँसू और मन में दुख है.. यह संसार बस छीनना जानता है देना नहीं। भगवान् को भी दया नहीं आती... दुखियारिन अभागी... माँ..... अनाथ बच्चे और सर को छत नहीं...... हे भगवान्... कृपया कर इतना जुल्म मत कर.... तेरा नाम लेके लोग अपना दुख भुलाने की कोशिश करते हैं.... कृपया कर.. उनका दुख दूर कर... 😢😢😢
  • author
    Sapna Devi
    06 جنوری 2019
    ऊंची बिरादरी की खोखली रिवाज़ों की सच्चाई बयान करती हुई बेहतरीन कहानी
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    Vivek Kumar Rajput
    06 دسمبر 2018
    हृदय स्पर्शी कहानी। मेरा दिल आंसुओं के सैलाब डूब गया था। इस कहानी को पढ़कर जिसे आंसू ना आए वो एक मानव का अंश नहीं हो सकता है। धिक्कार है ऐसे स्वार्थी समाज को। ऐसे अमीरों से गरीब ही अच्छे है जिनके दिलों में सारे जहां के लिए प्यार होता है। जिस समाज को उसकी सहायता करनी चाहिए थी वो उसकी लूटने पर तुल गया। हमे अपने आसपास ऐसे लोगो की सहायता करनी चाहिए। पहले तो भगवान किसीको ऐसा दिन ना दिखाए। मुंशी प्रेमचंद जी का कोटि कोटि आभार। समाज का ऐसा घिनौना और असामाजिक चेहरा बेनकाब करने के लिए
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    Vishal Suman
    13 اکتوبر 2019
    😢😢😢😢😢😢😢शब्द नहीं है कहने को. आँखों में आँसू और मन में दुख है.. यह संसार बस छीनना जानता है देना नहीं। भगवान् को भी दया नहीं आती... दुखियारिन अभागी... माँ..... अनाथ बच्चे और सर को छत नहीं...... हे भगवान्... कृपया कर इतना जुल्म मत कर.... तेरा नाम लेके लोग अपना दुख भुलाने की कोशिश करते हैं.... कृपया कर.. उनका दुख दूर कर... 😢😢😢
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    Sapna Devi
    06 جنوری 2019
    ऊंची बिरादरी की खोखली रिवाज़ों की सच्चाई बयान करती हुई बेहतरीन कहानी