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मृगनयनी....

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व्याकुल मन की कैसी कुंठा क्या अर्पण करूँ क्या करूँ समर्पण तेरे दरश को तरस रहे हैं घर के दर्पण जुड़ गयी हो जैसे तुझसे ही जीवन तरंग।। स्वप्नों में डूबे नयन कैसे हो मिलन उसकी उपस्थिति मानो जीवन-सार ...

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लेखक के बारे में
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अवनेश ✍️✍️✍️

मुसाफ़िर हूँ यारो 🚶🚶🚶 ना 🏡 है ना ठिकाना... मुझे चलते जाना है बस चलते जाना 🚶🚶🚶 ✍️✍️✍️

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    11 जून 2021
    ओहोहो शुद्ध हिंदी में प्रेम की उपासना , प्रेमिका का सौंदर्य वर्णन.... अनुपम रचना... बहुत सुंदर👍👍🌹🌹♥️♥️
  • author
    Toshmani 😊😊
    12 जून 2021
    बहुत ही खूबसूरत लिखे आप..👏🙏🙏
  • author
    11 जून 2021
    बहुत खूबसूरत पंक्तिया 👌👌🌹🌹🌹https://hindi.pratilipi.com/series/हे-मानव-5vl6vo9qpam7?utm_source=android
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    11 जून 2021
    ओहोहो शुद्ध हिंदी में प्रेम की उपासना , प्रेमिका का सौंदर्य वर्णन.... अनुपम रचना... बहुत सुंदर👍👍🌹🌹♥️♥️
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    Toshmani 😊😊
    12 जून 2021
    बहुत ही खूबसूरत लिखे आप..👏🙏🙏
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    11 जून 2021
    बहुत खूबसूरत पंक्तिया 👌👌🌹🌹🌹https://hindi.pratilipi.com/series/हे-मानव-5vl6vo9qpam7?utm_source=android