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मृगतृष्णा

4.4
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पाठकों से अनुरोध है कि इस रचना में थोड़ा वयस्क विषय वस्तु भी है अतः इसे 18+ आयु के पाठक ही पढें। "पौ पौ.. भीड़ को होर्न देती पीले रंग की कॉलेज बस आगे बढ़ती जा रही थी। गरिमा किसी तरह सांस रोक कर बस ...

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लेखक के बारे में

कहानियों की दुनिया में खो जाना चाहती हूं। अब तक हजारों लाखों कहानियां पढ़ी है प्रतिलिपि के साथ अपने लेखन की भी शुरुआत कर रही हूं। मन के विचारों को लिखना सरल है परंतु कहना मुश्किल है।

समीक्षा
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  • author
    Yakoob Khan "Anshu"
    28 मई 2019
    गरिमा जैसी कोई लड़की समाज के द्वारा जिसका बार बार उपहास उड़ाया जाता हो। वो जवानी के आवेश में जहाँ थोड़ा प्रेम मिलता है तो बहक जाती हैं ये स्वाभाविक है। इसमें गरिमा का कोई दोष नहीं है हाँ लेकिन महेश की ग़लती है महेश जैसे लोगों के लिए गरिमा जैसी भोली और मासूम लड़कियाँ बहुत आसान शिकार होती हैं जिसे वे लोग अपनी मीठी मीठी बातों से प्यार के झूठे वादे करके फँसा लेते हैं और उनका शारिरीक शोषण करते हैं। गरिमा नसीब वाली थी जो विनीता जैसी दोस्त उसके साथ थी जिसने अपनी सिक्स्थ सेंस से उसकी जान भी बचाई और अपनी सूझबूझ से उसे महेश के चंगुल से बाहर भी निकाला। सीख देती हुई एक शानदार कहानी। बहुत बहुत बधाई। 👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    20 अक्टूबर 2019
    शादीशुदा मर्दों की यही दास्तान है प्रेमिका को फसाने के हजारोँ हथकंडे ।बीबी नापसंद और बच्चे बीबी से खटपट ।टाईम पास प्रेमिका से ।आफत आ जाय तो पल्ला झाड़कर मजबूर होने का नाटक ।सारा दोष प्रेमिका पर ।औरत एक नासमझ प्रजाति है। प्रेम की मृगतृष्णा को मर्द जानता है और छलता है प्रेमी पति रिश्तेदारों के रूप में ।और अंत समय सामना न कर पाने की हिम्मत मौत को गले लगाकर अनसुलझी कहानी बनकर और दोषी नई तलाश औरत की ।
  • author
    Mamta Upadhyay
    28 सितम्बर 2019
    वाह भटके हुये को सही राह दिखती हुई स्टोरी
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    Yakoob Khan "Anshu"
    28 मई 2019
    गरिमा जैसी कोई लड़की समाज के द्वारा जिसका बार बार उपहास उड़ाया जाता हो। वो जवानी के आवेश में जहाँ थोड़ा प्रेम मिलता है तो बहक जाती हैं ये स्वाभाविक है। इसमें गरिमा का कोई दोष नहीं है हाँ लेकिन महेश की ग़लती है महेश जैसे लोगों के लिए गरिमा जैसी भोली और मासूम लड़कियाँ बहुत आसान शिकार होती हैं जिसे वे लोग अपनी मीठी मीठी बातों से प्यार के झूठे वादे करके फँसा लेते हैं और उनका शारिरीक शोषण करते हैं। गरिमा नसीब वाली थी जो विनीता जैसी दोस्त उसके साथ थी जिसने अपनी सिक्स्थ सेंस से उसकी जान भी बचाई और अपनी सूझबूझ से उसे महेश के चंगुल से बाहर भी निकाला। सीख देती हुई एक शानदार कहानी। बहुत बहुत बधाई। 👌👌👌👌👌👌👌💐💐💐
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    Poonam Kaparwan pikku
    20 अक्टूबर 2019
    शादीशुदा मर्दों की यही दास्तान है प्रेमिका को फसाने के हजारोँ हथकंडे ।बीबी नापसंद और बच्चे बीबी से खटपट ।टाईम पास प्रेमिका से ।आफत आ जाय तो पल्ला झाड़कर मजबूर होने का नाटक ।सारा दोष प्रेमिका पर ।औरत एक नासमझ प्रजाति है। प्रेम की मृगतृष्णा को मर्द जानता है और छलता है प्रेमी पति रिश्तेदारों के रूप में ।और अंत समय सामना न कर पाने की हिम्मत मौत को गले लगाकर अनसुलझी कहानी बनकर और दोषी नई तलाश औरत की ।
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    Mamta Upadhyay
    28 सितम्बर 2019
    वाह भटके हुये को सही राह दिखती हुई स्टोरी