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मोरल

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मोरल फर्स्ट स्टैण्डर्ड का क्लास रूम बच्चों के शोर से भन्ना रहा था।बच्चे आपस में मारपीट और छीनाझपटी कर रहे थे।उनकी कापी-किताबें चील-कव्वों की भांति उनके सिर के ऊपर से सरसराती हुई कभी इस और कभी उस ...

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लेखक के बारे में

एम . ए . ,पी . एच्. डी .; डी लिट् , सेवा निवृत बैंक प्रबंधक ,साहित्य लेखन में रूचि . कुछ पुस्तकें प्रकाशित . गोदान के बाद(1994 1995,2019 ( 1936 से 1948 तक) स्व. मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान का विस्तार " गोदान के बाद " तथा उनके अपूर्ण "मंगलसूत्र " को पूरा करके " "मंगल सूत्र का वरदान " शीर्षक से प्रकाशित किया हैं, देश के विभिन्न पत्रों / पत्रिकाओं मैं कहानी ,लघुकथा ,कविता,नाटक आदि का प्रकाशन तथा ,आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर प्रशारण .

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    OM PRAKASH "OMG"
    10 जून 2019
    सही और वास्तविक स्थिति का चित्रण किया है स्कूल का आपने इस कहानी में, मोरल का अर्थ अभी भी अधूरा ही है और तब तक अधूरा ही रहेगा जब तक दोनों अध्यापिकाएँ एक ही क्लास में रहेंगी ।
  • author
    Jatinkant Singh
    26 अप्रैल 2021
    good
  • author
    Priyanka गर्ग
    11 मई 2022
    आजकल के स्कूल 👌👌🙏🙏
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    OM PRAKASH "OMG"
    10 जून 2019
    सही और वास्तविक स्थिति का चित्रण किया है स्कूल का आपने इस कहानी में, मोरल का अर्थ अभी भी अधूरा ही है और तब तक अधूरा ही रहेगा जब तक दोनों अध्यापिकाएँ एक ही क्लास में रहेंगी ।
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    Jatinkant Singh
    26 अप्रैल 2021
    good
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    Priyanka गर्ग
    11 मई 2022
    आजकल के स्कूल 👌👌🙏🙏