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मंकी बंदर

4.5
6661

मंकी बंदर सर्दी की एक दोपहर की गुनगुनी धूप में बंदरों का एक समूह पप्पू की छत पर सुस्ता रहा था । घर के लोग सब बाहर गए हुए थे इसलिए छत खाली थी सो इन बंदरों ने वहाँ डेरा जमाया हुआ था । कुछ छोटे बंदर ...

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लेखक के बारे में

विज्ञान पारास्नातक ,भारतीय राजस्व सेवा अधिकारी (सेवा निवृत), मूल रूप से झाँसी निवासी , कोचिन में निवासरत। पूर्व सहायक आयुक्त सीमाशुल्क । लिखने पढ़ने का शौक है कुछ पुस्तकें प्रकाशित। उल्लेखनीय पुस्तके, संवाद (कविता संग्रह), लुटेरों का टीला,चंबल( लघु उपन्यास), अष्ट योगी(लघु उपन्यास),

समीक्षा
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  • author
    13 अप्रैल 2017
    अच्छी कहानी। आधुनिकता के बोझ तले बचपन कैसे सन्नाटे में बदल रहा है, इसका खूसूरत चित्रण इस कहानी में हुआ है।
  • author
    Rajiv Maliya
    13 नवम्बर 2016
    बहुत ही अच्छी कहानी है ।ओर आज की हकीकत को बयान कर रही है ।आजकल बच्चे खेलते हुए दिखाई ही नही देते।सब मैदान खाली पडे है ।लगता है कि कोई गेंद चुरा ले गया हो
  • author
    Ankit Maharshi
    13 जनवरी 2019
    90 के दशक पर आधारित एक सुंदर सी कहानी, उस दौर में बंदरों से दूर, पड़ोसियों से दूर भले ही tv ने किया पर पूरा परिवार साथ बैठता था। अब सभी एकाकी हो गए हैं,, अपने अपने फोन में व्यस्त।
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    13 अप्रैल 2017
    अच्छी कहानी। आधुनिकता के बोझ तले बचपन कैसे सन्नाटे में बदल रहा है, इसका खूसूरत चित्रण इस कहानी में हुआ है।
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    Rajiv Maliya
    13 नवम्बर 2016
    बहुत ही अच्छी कहानी है ।ओर आज की हकीकत को बयान कर रही है ।आजकल बच्चे खेलते हुए दिखाई ही नही देते।सब मैदान खाली पडे है ।लगता है कि कोई गेंद चुरा ले गया हो
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    Ankit Maharshi
    13 जनवरी 2019
    90 के दशक पर आधारित एक सुंदर सी कहानी, उस दौर में बंदरों से दूर, पड़ोसियों से दूर भले ही tv ने किया पर पूरा परिवार साथ बैठता था। अब सभी एकाकी हो गए हैं,, अपने अपने फोन में व्यस्त।