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मोहताज

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अब नहीं होना हैं कोई चीज के लिए मोहताज। तुम्हारे अंदर भी बुद्धि और बल हैं करो आगाज। लड़ाई अपने दम पे जीती जाति हैं दूसरे तो हार पे मातम मानते हैं या जीत पे करते हैं जय जय कार। ...

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लेखक के बारे में
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Zahan

पढ़ने का सौखिन हूं इसलिए रीडर बन गया। लिखने का सौंख हैं उसको पूरा करना हैं जो अधूरा रह गया।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    D.Vaishali K.S "DVSK"
    18 जून 2023
    अप्रतिम पेशकश ✍️✍️✍️✍️👌👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
  • author
    बहुत ही सुन्दर और सार्थक पंक्तियां लिखी आपने।।✍️✍️💯✍️✍️
  • author
    AFROZ KHAN
    18 जून 2023
    बहुत खूबसूरत शानदार लाजवाब अभिव्यक्ति।
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    D.Vaishali K.S "DVSK"
    18 जून 2023
    अप्रतिम पेशकश ✍️✍️✍️✍️👌👌👌👌👌👌🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
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    बहुत ही सुन्दर और सार्थक पंक्तियां लिखी आपने।।✍️✍️💯✍️✍️
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    AFROZ KHAN
    18 जून 2023
    बहुत खूबसूरत शानदार लाजवाब अभिव्यक्ति।