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मोहब्बत

4.8
480

सदियों के इस युग फेरे में , सर-ए -आम मोहब्बत हो गयी है बदनाम मोहब्बत हो गयी है, बदनाम मोहब्बत हो गयी है ! हर्फ़ों में रुमनी रंग लिए , मनचले वकालत करते हैं सादगी- रूप - चपलता देख, सपनों से बगावत ...

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लेखक के बारे में
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प्रतीक्षा

मैं नन्हा सा विहग विश्व के नभ में उड़ना सीख रहा हूँ ।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    11 मार्च 2020
    अतिसुंदर रचना कृपया स्नेह स्वरूप हमारी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करें समीक्षा की प्रतीक्षा सहृदय धन्यवाद
  • author
    Ritunam Prajapati
    22 अगस्त 2016
    Ati sundar doll...kase likhti ho itna achha...very nice .....tumari poem padh k hme poem se mohabbat ho gai h
  • author
    ASHISH TRIPATHI "aac"
    30 अगस्त 2016
    I love this type of poem very clear description of love.... keep writing.... and thanku so much for this.
  • author
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    11 मार्च 2020
    अतिसुंदर रचना कृपया स्नेह स्वरूप हमारी रचना श्रीदुर्गाचरितमानस पढ़ने का कष्ट करें समीक्षा की प्रतीक्षा सहृदय धन्यवाद
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    Ritunam Prajapati
    22 अगस्त 2016
    Ati sundar doll...kase likhti ho itna achha...very nice .....tumari poem padh k hme poem se mohabbat ho gai h
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    ASHISH TRIPATHI "aac"
    30 अगस्त 2016
    I love this type of poem very clear description of love.... keep writing.... and thanku so much for this.